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Tripura Sundari's sort is not simply a visual representation but a map to spiritual enlightenment, guiding devotees by means of symbols to be familiar with further cosmic truths.

सर्वेषां ध्यानमात्रात्सवितुरुदरगा चोदयन्ती मनीषां

Her illustration is not static but evolves with artistic and cultural influences, reflecting the dynamic character of divine expression.

The essence of such rituals lies during the purity of intention as well as the depth of devotion. It's not merely the external actions but The inner surrender and prayer that invoke the divine presence of Tripura Sundari.

पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥

The Saptamatrika worship is particularly emphasised for the people searching for powers of control and rule, in addition to for the people aspiring to spiritual liberation.

षोडशी महाविद्या प्रत्येक प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं। मुख्यतः सुंदरता तथा यौवन से घनिष्ठ सम्बन्ध होने के परिणामस्वरूप मोहित कार्य और यौवन स्थाई रखने हेतु इनकी साधना अति उत्तम मानी जाती हैं। त्रिपुर सुंदरी महाविद्या संपत्ति, समृद्धि दात्री, “श्री शक्ति” के नाम से भी जानी जाती है। इन्हीं देवी की आराधना कर कमला नाम से विख्यात दसवीं महाविद्या धन, सुख तथा समृद्धि की देवी महालक्ष्मी है। षोडशी देवी का घनिष्ठ सम्बन्ध अलौकिक शक्तियों से हैं जोकि समस्त प्रकार की दिव्य, अलौकिक तंत्र तथा मंत्र शक्तियों की देवी अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। तंत्रो में उल्लेखित मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तम्भन इत्यादि जादुई शक्ति more info षोडशी देवी की कृपा के बिना पूर्ण नहीं होती हैं।- षोडशी महाविद्या

Worshipping Goddess Shodashi is not merely about looking for content Added benefits but also with regard to the internal transformation and realization in the self.

The Tale is actually a cautionary tale of the strength of desire as well as the requirement to acquire discrimination via meditation and adhering to the dharma, as we progress in our spiritual route.

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥

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